इस ८ मार्च २०११ को अंतराष्ट्रिय महिला दिवस ने अपने १०० वर्ष पूर्ण किये....
कहते है न ...
कोमल है कमज़ोर नहीं शक्ति का नाम ही नारी है.इसलिए जन्म देने की शक्ति,इश्वर के बाद केवल नारी में ही है.नारी ही है जो अपने प्यार विश्वास और साथ से किसी को भी नव जीवन दे सकती है. य़ू तो नारी सदा से ही शक्ति का पर्याय रही है, बस कभी कभी गहरी आत्मीयता प्रेम संवेदनाओ के चलते वो अपने अधिकारों को अनदेखा कर देती है. और तब समाज उसे सबला के स्थान पर अबला समझने
की भूल कर देता है.लेकिन आज की नारी अपने इन गुणों को अपनी कमजोरी नहीं बनने देती. वो
दीन हीन बन, सब कुछ सहने या भाग्य के भरोसे रहने के बजाए, कमर कस हर समस्या का निदान खोजने में विश्वास रखती है. चूल्हे के धुएं में खाना पकाते पकाते वो बायो गैस के बारे में जानकारी एकत्र करती है.
आज की नारी अपनी उम्र को छुपाती नहीं बल्कि खुल के बताती है की उसके पास इतने वसंतोत्सव का अनुभव है. आज की नारी ज़िन्दगी को काटती नहीं बल्कि जिन्दगी को जीना और प्यार को महसूस करना सीख चुकी है. अपनी छमता से ज्यादा देती,घर और दफ्तर सामान रूप से सम्भालती है. वह पढ़ लिख कर खुद को काबिल बनाने के साथ साथ समाज को बदलने का माद्दा भी रखती है.
महिलाये आज सशक्त हो रही है, जिसका ताज़ा उदाहरण है हमारे राषट्रीय खेलो में महिलाओ दुआरा जीते हुए अनगिनत सवर्ण रज़त और कांस्य पदको की श्रंखला, या फिर महज़ तीन वर्षो में भारत सरकार दुआरा all india out standing वोमेन interpenur का ख़िताब हासिल करने वाली अनुपम आर्या.
आज चार दिवारी के भीतर और बाहर दोनों ही जगह आत्मविश्वास और दरनसंकल्प से मोर्चा
संभाली है महिलाये. जिसकी मिसाल है गुलाबी साड़ी समूह की नेता संपत पाल, जो अपने नारी समूह के साथ सामाजिक buraeyo
वाकई अगर हो ज़ज्बा और आत्मविश्वास तो सब कुछ सम्भव है. एक वो दौर था जब महिलाओ की आवाज़ और हंसी भी किसी को सुनाई नहीं पड़नी चाहिए थी, लेकिन आज हर तरफ रेडियो पर महिलाओ की आवाज़े चहक रही है, टी.वी सक्रीन पर उगते सूरज और ढलती शाम, २४ घंटे मुस्तैद दिखती है "महिलाये". आज अपने देश की, राज्य की, पंचायत दफ्तर और घर की कमान संभाले
है महिलाये.
१९३६ में २१ साल की उम्र में पहली comercial महिला पायलट बनाने का गौरव हासिल किया सरला ठकराल ने. इस उड़न के बाद कभी महिलाओ ने मुड़ करनहीं देखा.
आज बिहार में 50% सींटे आरक्षित है महिलाओ क लिए...
आज हाई कोर्ट में 630 जजों में 52 महिला जज है...
लोक सभा में भी लभग 61 महिलये हे है.......
क्योंकी २१ वी सदी नारी जन्म ले .चुकी है...
जिसके पास है विचारने के लिए पूरा आसंमा और सपनो को सच करने के लिए पूरी ज़मी"
कहते है न ...
कोमल है कमज़ोर नहीं शक्ति का नाम ही नारी है.इसलिए जन्म देने की शक्ति,इश्वर के बाद केवल नारी में ही है.नारी ही है जो अपने प्यार विश्वास और साथ से किसी को भी नव जीवन दे सकती है. य़ू तो नारी सदा से ही शक्ति का पर्याय रही है, बस कभी कभी गहरी आत्मीयता प्रेम संवेदनाओ के चलते वो अपने अधिकारों को अनदेखा कर देती है. और तब समाज उसे सबला के स्थान पर अबला समझने
की भूल कर देता है.लेकिन आज की नारी अपने इन गुणों को अपनी कमजोरी नहीं बनने देती. वो
दीन हीन बन, सब कुछ सहने या भाग्य के भरोसे रहने के बजाए, कमर कस हर समस्या का निदान खोजने में विश्वास रखती है. चूल्हे के धुएं में खाना पकाते पकाते वो बायो गैस के बारे में जानकारी एकत्र करती है.
आज की नारी अपनी उम्र को छुपाती नहीं बल्कि खुल के बताती है की उसके पास इतने वसंतोत्सव का अनुभव है. आज की नारी ज़िन्दगी को काटती नहीं बल्कि जिन्दगी को जीना और प्यार को महसूस करना सीख चुकी है. अपनी छमता से ज्यादा देती,घर और दफ्तर सामान रूप से सम्भालती है. वह पढ़ लिख कर खुद को काबिल बनाने के साथ साथ समाज को बदलने का माद्दा भी रखती है.
महिलाये आज सशक्त हो रही है, जिसका ताज़ा उदाहरण है हमारे राषट्रीय खेलो में महिलाओ दुआरा जीते हुए अनगिनत सवर्ण रज़त और कांस्य पदको की श्रंखला, या फिर महज़ तीन वर्षो में भारत सरकार दुआरा all india out standing वोमेन interpenur का ख़िताब हासिल करने वाली अनुपम आर्या.
आज चार दिवारी के भीतर और बाहर दोनों ही जगह आत्मविश्वास और दरनसंकल्प से मोर्चा
संभाली है महिलाये. जिसकी मिसाल है गुलाबी साड़ी समूह की नेता संपत पाल, जो अपने नारी समूह के साथ सामाजिक buraeyo
वाकई अगर हो ज़ज्बा और आत्मविश्वास तो सब कुछ सम्भव है. एक वो दौर था जब महिलाओ की आवाज़ और हंसी भी किसी को सुनाई नहीं पड़नी चाहिए थी, लेकिन आज हर तरफ रेडियो पर महिलाओ की आवाज़े चहक रही है, टी.वी सक्रीन पर उगते सूरज और ढलती शाम, २४ घंटे मुस्तैद दिखती है "महिलाये". आज अपने देश की, राज्य की, पंचायत दफ्तर और घर की कमान संभाले
है महिलाये.
१९३६ में २१ साल की उम्र में पहली comercial महिला पायलट बनाने का गौरव हासिल किया सरला ठकराल ने. इस उड़न के बाद कभी महिलाओ ने मुड़ करनहीं देखा.
आज बिहार में 50% सींटे आरक्षित है महिलाओ क लिए...
आज हाई कोर्ट में 630 जजों में 52 महिला जज है...
लोक सभा में भी लभग 61 महिलये हे है.......
क्योंकी २१ वी सदी नारी जन्म ले .चुकी है...
जिसके पास है विचारने के लिए पूरा आसंमा और सपनो को सच करने के लिए पूरी ज़मी"